हमारा ध्येय

वैदिक वैभव
की पुनर्स्थापना

“एकम सत विप्रा बहुधा वदन्ति” ~ ऋग्वेद

शाश्वत सत्य के अनवेषण में वेदों का अमूल्य ज्ञान एक अभेद्य सुरक्षा कवच समान सदा ही हमारे साथ रहा है। इस प्राचीन विरासत और संस्कृति को, जो हमारे समाज की आधारशिला है, उसे मुख्यधारा में लाने की जरूरत है। हमें नवजागरण की आवश्यकता है जिससे श्रेष्ठ विचारकों की उत्तम पीढ़ी का विकास हो और वे सम्पूर्ण राष्ट्र की प्रगति और उत्थान में सहभागी हों।